जल ही जीवन -24-Nov-2022

प्रतियोगिता

विषय स्वैच्छिक
विषय जल ही जीवन 
विधा कविता 

जल ही जीवन

जल से कल है जल से कल है, 
     जल से सारे हैं जलसे ।।
जल के बिन होंगे ना जलसे ,
      जलसे जाएंगे जल से।।
जग जीवन जल के बिन सूना,
      जल ही मानव जीवन है । 
ईश्वर से यह मुफ्त मिला है, 
         मानो मूर संजीवन है।।
संग्रहण हो जल का नित प्रति , 
       नदियों का संरक्षण हो।।
अगर ना सम्हले अभी तो समझो , 
     जल का  भी आरक्षण हो।।
जल का क्षरण अगर इस जग में, 
     नित नव नियम विरुद्ध होगा ।  
निश्चय ही आगे चलकर के, 
   जल  हित  विश्व युद्ध होगा।।
नदी बचाओ जल को बचाओ ,
      जीवन अगर बचाना है । 
लो संकल्प विनोदी दिल से 
           दुख से मुक्ति पाना है।

विनोदी महाराजपुर 

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3 Comments

Radhika

07-Feb-2023 09:59 PM

Nice

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Sachin dev

24-Nov-2022 06:40 PM

Well done ✅

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Gunjan Kamal

24-Nov-2022 08:18 AM

बहुत खूब

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